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Raja Prithu [राजा पृथु] - भारतीय प्रतिरोध की गाथा

राजा पृथु-1  राजा पृथु  कौन थे?  पृथु असम के राजा थे, जिन्होंने 1206 ईस्वी में बख्तियार खिलजी को बुरी तरह परास्त किया था। असम का इतिहास हजारों वर्ष पुराना है। रामायण, महाभारत, पुराण और अन्य शास्त्रों में असम को ' प्रागज्योतिषपुर ' के नाम से जाना गया है। कालांतर में इसका नाम ' कामरूप ' हो गया, यह नाम भी इतिहास में अनेक जगह आया है। निदानपुर और डूबी में मिले शिलालेखों के अनुसार नरकासुर, भगदत्त, वज्रदत्त और उनके वंशजों ने 3,000 वर्षो तक यहाँ राज्य किया। प्रयागराज में मिले समुद्रगुप्त के एक शिलालेख में कामरूप उसका एक सीमावर्ती राज्य था। अहोम राज्य आने के बाद से मानस नदी के पूर्व का सारा क्षेत्र 'असम' नाम से जाना जाने लगा। असम के एक जिले का नाम आज भी कामरूप है।   1206 ई. में मोहम्मद बिन बख्तियार खिलजी ने कामरूप पर आक्रमण किया था। खिलजी अपने साथ बारह हज़ार घुड़सवारों की एक बड़ी फौज लेकर आया था। तत्समय असम पर राजा पृथु का शासन था। राजा पृथु ने बख्तियार खिलजी को बुरी तरह परास्त किया। वह बड़ी मुश्किल से ही अपनी जान बचाकर भाग पाया। उसकी अधिकतर सेना भी इस अभियान में नष...

Rampyari Gurjari [ रामप्यारी गुर्जर ]

 रामप्यारी गुर्जर कौन थी :- रामप्यारी गुर्जर-1:-  जिनके नेतृत्व में 40 हज़ार महिला सैनिकों ने तैमूर लंग को नाकों चने चबवा दिये थे।   रामप्यारी गुर्जर  भारतीय इतिहास में एक अल्पज्ञात (अनजाना) नाम है, परंतु उनकी वीरता की कहानी अद्वितीय है। अन्य हजारों वीर और वीरांगनाओं की भांति वह भी न जाने किन कारणों से इतिहासकारों की उपेक्षा का शिकार रही हैं। बीस वर्षीय रामप्यारी गुर्जर ने अपने साथ चालीस हज़ार अन्य महिला सैनिकों को लेकर सन् 1398 में मेरठ और हरिद्वार के क्षेत्र में तैमूर लंग पर ऐसे भयावह हमले किए थे कि वह भारत छोड़कर भागने को विवश हो गया, और फिर कभी इधर का रुख नहीं किया। तत्समय विभिन्न समुदायों और जातियों के लगभग अस्सी हज़ार योद्धाओं ने तैमूर लंग पर स्थान-स्थान पर हमले किए और उसकी सेना के बहुत बड़े भाग को नष्ट कर दिया। और इस प्रकार मेरठ, हरिद्वार और आसपास के समस्त भू-भाग को तैमूर द्वारा लुटने से बचा लिया।  वीरांगना रामप्यारी गुर्जर-2:- तैमूर लंग के विषय में कौन नहीं जानता, उसने लाखों निर्दोष हिंदुओं का नरसंहार किया, अनगिनत उत्कृष्ट मंदिर और मठों को नष्ट-भ्रष्ट क...

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ क्या है? (What is RSS?)

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ क्या है? (What is RSS? )  यह कार्यप्रणाली (Methodology) है,और कुछ नहीं है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ नाम का जो संगठन है, वह करता क्या है? वह व्यक्ति-निर्माण का काम करता है। क्योंकि समाज के आचरण में कई प्रकार का परिवर्तन आज भी हम चाहते हैं। हमको भेद मुक्त समाज चाहिए, समतायुक्त समाज चाहिए, शोषण-मुक्त समाज चाहिए। समाज से स्वार्थ भी जाना चाहिए।  लेकिन यह जाना चाहिए,केवल ऐसा कहने से नहीं होगा। समाज का आचरण उदाहरणों की उपस्थिति में बदलता है। हमारे यहाँ आदर्श हैं,महापुरुषों की कोई कमी नहीं है। देश के लिए सर्वस्व न्योछावर करनेवाले इस भूमि में आदिकाल से इस क्षण तक बहुत लोग हैं। लेकिन अपने सामान्य समाज की प्रवृत्ति क्या है? वह उनकी जयंती, पुण्यतिथि मनाता है। उनकी पूजा जरूर करेगा, उनके जैसा गलती से भी नहीं बनेगा।छत्रपति शिवाजी महाराज फिर से होने चाहिए, लेकिन मेरे घर में नहीं होने चाहिए, दूसरे के घर में होना चाहिए। कुछ वर्ष पहले रीडर्स डाइजेस्ट में एक अंग्रेजी वाक्य पढ़ा था, उसमें यह कहा था कि The ideals are like stars, which we never reach. आदर्श दूर ही रहते हैं। उ...

जम्मू कश्मीर अधिमिलन के महानायक महाराजा हरि सिंह की जयंती पर शत्-शत् नमन - 23 सितंबर 1895 जानिए कौनसे औरंगजेब को चुनौति देते हुए राणा राज सिंह जी मेवाड़ में श्रीनाथ जी की प्रतिष्ठा करवाई। -Maharaja Hari Singh

Maharaja Hari Singh:-  "औरंगजब मुगल साम्राज्य का सबसे क्रूर शासक था। उसने मेवाड़ के आस्था के केंद्र श्रीनाथजी मंदिर पर आक्रमण किया था। मेवाड़ के कई अन्य मंदिरों का भी विध्वंस किया। मेवाड़ में सनातन धर्म से संबंधित केंद्रों को महाराणा राज सिंह का संरक्षण था, जिससे औरंगजेब ने भारी विद्वेष किया था। मेवाड़ सहित समूचे भारत के इतिहास के संदर्भ में औरंगजेब की छवि क्रूर व पक्षपाती शासक की थी।" इतिहासकार प्रो चन्द्रशेखर शर्मा ने दैनिक भास्कर को वक्तव्य दिया।

The Importance of a Mother (माँ का महत्त्व)

 माँ का महत्त्व:- आपको मुक्ति दिलानेवाले ऊँचे से ऊँचे भगवान् ने इसी धरती पर मानव के रूप में जन्म लिया है। यह भारत केवल मनुष्यों की जननी नहीं है। यह देवों की भी जननी है। इसकी सेवा विश्व-जननी की सेवा है। इसकी सेवा है, तो बाकी कुछ नहीं चाहिए। एक बार देवताओं के बीच प्रतियोगिता हुई, वे कौन से देव हैं, जिनका वाहन जल्दी दौड़ता है? सब लोग अपना-अपना वाहन लेकर आ गए। कार्तिकेयजी अपने मोर को लेकर आ गए। इंद्र अपने ऐरावत पर बैठकर और विष्णुजी गरुड़ लेकर आ गए। सबने मिलकर शिवजी को रेफरी बनाया और कहा, “शिव-पार्वती, आप बैठकर देखिए, कौन पहले आता है।” वहाँ गणेशजी भी आ गए। अब गणेशजी का शरीर तो मोटा है। सब लोगों ने कहा, “अरे! आप इतने मोटे हैं। आपका वाहन तो चूहा है, वह क्या दौड़ेगा? आप यहाँ क्या करने आए हैं?” तो गणेशजी ने कहा, “हम भी प्रतियोगिता में आए हैं।” प्रतियोगिता शुरू हो गई, सब लोग दौड़ लगाने चले गए। पूरी पृथ्वी का चक्कर लगाकर आना था। गणेशजी देखते रहे। *सब लोग दूर चले गए, तब उन्होंने माता पार्वती की तीन प्रदक्षिणा की और बैठ गए।* सब देव वापस आए। जब पूछा गया कि कौन जीता, तो शिवजी ने कहा, “गणेशजी जीते...

Teej and Sinjhara

 what is hariyali teej and sinjhara:- Teej and Sinjhara(सिन्झारा और तीज):- जैसे-जैसे इंटरनेट का दायरा बढ़ा है वैसे-वैसे स्थानीयता ने भी विस्तार पाया है। लोग अपने रीति रिवाजों को पहले से भी अधिक उत्साह से मनाने लगे हैं। हालांकि सीधे तौर पर इसका कारण बाजार ही है और बाजार की रौनक ही घर तक आती है। जो भी हो, लोग अधिक उत्साहित और उदार हुए हैं। वे अपने आस-पास के लोगों की कला, परंपरा और संस्कृति में रुचि लेने लगे हैं। इसी क्रम में राजस्थान के त्योहार जो कभी राजस्थान तक ही सीमित थे, सच कहूँ तो राजस्थानी लोक तक ही सीमित क्योंकि आधिकारिक रूप से उत्सव तो उन्हें आज भी नहीं माना है । > राजस्थान के अपने दो त्योहार जिनमें इस प्रदेश की आत्मा प्रतिबिंबित होती है- तीज और गणगौर । तीज त्योहारों का आगम है और गणगौर समापन। इसीलिए यहाँ कहावत है- तीज तिंवारां बावड़ी ले डूबी गणगौर। दोनों ही उत्सवों को राजस्थान सरकार नहीं जानती इसलिए इन पर कोई अवकाश नहीं। पर उत्सव अवकाशों की दरकार थोड़े रखते हैं। लोग छुट्टी लेकर मनायेंगे। खैर! जो त्योहार अब तक स्थानीय थे वे अब बाहर के लोगों के भी ध्यान में आ रहे हैं। रज...

 “ऑपरेशन सिंदूर”-भारत की सैन्य पराक्रम और रणनीतिक विजयनिति का ऐतिहासिक शंखनादः-Operation Sindoor

 “ऑपरेशन सिंदूर”-भारत की सैन्य पराक्रम और रणनीतिक विजयनिति का ऐतिहासिक शंखनादः- विश्व के इतिहास में पहली बार 90 मिनट में किसी परमाणु राष्ट्र के 11 एयरबेस तबाह भारत ने वह कर दिखाया, जिसे करने का साहस दुनियां की किसी महाशक्ति ने अब तक नहीं किया था। पाकिस्तान के 11 एयरबेस- जिनमें उसके रणनीतिक महत्व वाले सरगोधा जैसे हवाई अड्डे शामिल थे, भारतीय वायुशक्ति के प्रचंड क्रांतिकारी प्रहार से ध्वस्त हो गए। उनके रनवे चीर दिए गए। एयर डिफेंस सिस्टम जलकर राख हो गया। और सरगोधा जैसे हवाई अड्डे पर तो भारत ने ठीक उसी स्थान को निशाना बनाया, जहाँ उनके परमाणु अस्त्र रखे गए थे। सरगोधा एयरबेस ध्वस्त करण के परिणाम: • परमाणु विकिरण का रिसाव • परमाणु चेतावनी • और हर मामले में सरपंच बने अमेरिका की नींद उड़ गई। उन्होंने तुरंत युद्धविराम की गुहार लगाई, क्योंकि दोनों परमाणु राष्ट्रों की टकराहट ने दुनियां को हिला कर रख दिया। लेकिन भारत ने क्या किया? ऑपरेशन सिंदूर बंद नहीं किया?  झुकने से इनकार कर दिया। क्योंकि भारत अब वो भारत नहीं रहा, जो दशकों तक सहता रहा। आज भारत वह राष्ट्र है जो आतंक के गढ़ में घुसकर उसका ...